बुद्ध जन्म और अंधविश्वास (चमत्कार)

मित्रों! बुद्ध के जन्म के अंधविश्वास पर हमने बौद्ध साहित्यों के प्रमाण सहित पोस्ट डाली थी जिसे कुछ हिंदू द्वैषी तथाकथित नवबौद्धों ने ब्राह्मणों की मिलावट कहकर अपने आपको सुरक्षित करने की कोशिश की।
किंतु नवबौद्ध स्तूप वास्तु और स्तूपों पर बने चित्रों को विशुद्ध बौद्ध रचना मानते हैं अर्थात् उसमें कोई ब्राह्मणों का निर्माण नही मानते हैं अत: यहां हम प्रसिद्ध अमरावती के स्तूप में बौद्धों द्वारा किया गया बुद्ध जन्म का चित्रण दर्शा रहे हैं।
अमरावती पर बुद्ध जन्म कथा का चित्रण इस प्रकार है -
यहां बांये से, सबसे ऊपर देखें तो मायादेवी को श्वेत हस्ति के स्वप्न तथा गर्भधारण का चित्रण है। यहां श्वेत हाथी को स्वप्न में दर्शाना, सिद्ध करता है कि बौद्ध लोग स्वप्न फल मानते थे। जिसे आज ये ब्राह्मणों का अंधविश्वास कहते हैं। इस हाथी वाले दृश्य का स्पष्ट चित्रांकन भरहुत स्तूप में हुआ है।
यहां मायादेवी के साथ अनेकों दास भी दिखाये हैं, अगर कहीं ये किसी ग्रंथ में हिंदू पात्र के साथ दास देख लें, तो उसे शूद्र पर अत्याचार, दास प्रथा का नाम देते हैं।
इससे नीचे के चित्र में बुद्ध का चमत्कारिक जन्म दिखाया है। जिसमें महामाया एक साल के पेड की डाली पकडकर खडी है और खडे़ - खड़े ही बालक सिद्धार्थ को अपने दाहिने कूल्हे की सहायता से जन्म दे रही है। अब क्या यह अंधविश्वास और चमत्कार नहीं है ॽ यहां ब्राह्मणों की मिलावट भी नहीं कह सकते हैं क्योंकि ये नवबौद्धों के द्वारा ही विशुद्ध बौद्ध रचना घोषित है।
अब आगे चलें तो दाहिनी साईड सबसे नीचे के चित्र में एक वृक्ष दिखाया है। जिसमें से एक देवता/भूत निकलकर बुद्ध के दर्शन कर रहा है। हिंदूओं के वृक्ष, नदी और सूर्य पूजन को अंधविश्वास बताने वाले वैज्ञानिक नवबौद्ध इस पर क्या कहेगें? यहां तो वृक्षों में काल्पनिक देव दिखा दिया। इस चित्र में एक और चीज ध्यान देने वाली है कि पहले बुद्ध की प्रतिमा नहीं बनती थी अत: बालरूप में बुद्ध को एक वस्त्र पर चरण चिह्नों द्वारा दर्शाया गया है। यहां बुद्ध को नमन का दर्शाना है अतः उनकी साक्षात् प्रतिमा की जगह चिह्न प्रयोग किया है। स्तूपों पर बुद्ध का स्वरुप चित्रण और मुर्तियों का निर्माण कनिष्क से प्रारम्भ हुआ था। उससे पहले बुद्ध को (राजकुमार सिद्धार्थ को छोडकर) चिह्नों द्वारा दर्शाया जाता था।
ये सब चित्रण बौद्धों में चमत्कार के अंधविश्वास को दर्शाते हैं और ये भी सिद्ध करते हैं कि प्राचीनकाल से ही बौद्धों ने स्वयं अंधविश्वास का प्रचार किया था।
संदर्भित ग्रंथ एवं पुस्तकें - 
1) Smith Sonian History of the World in 1000 Objects

Comments

Popular posts from this blog

Chakras And Its Seven Types | How To Activate Chakras In The Human Body

दशरथ-जातक

नाग ,पंच शील ,बुद्ध , और नागपंचमी की सच्चाई।