जब बाबा साहेब ने अति नारीवाद पर तंज कसा!!!

 ये ठीक है कि समाज में प्रत्येक वर्ग के लोगों को उन्नति और सम्मान प्राप्त करने के अवसर मिलना चाहिए। जो वर्ग किसी कारण पिछड गये थे उन्हें अतिरिक्त सुविधायें भी मिलें, जिससे वे आगे बढकर समाज में अपनी भागीदारी निभा सकें। महिलाओं को भी उन्नति के लिए विभिन्न योजनाओं से सहायता मिले तो, इसमें कोई गलत बात नहीं होगी। किंतु एक वर्ग की उन्नति के लिए दूसरे अन्य वर्गों की उपेक्षा करना या महिलाओं की उन्नति के लिए सम्पूर्ण पुरुष वर्ग की उपेक्षा करना आदि अत्यन्त गलत कार्य हैं। जहां केवल महिलाओं को ही प्राथमिकता दी जाये और पुरुष वर्ग की उपेक्षा की जाये। वहां समाज की हानि तो होगी ही, साथ ही पुरुषों और महिलाओं के मध्य तनाव की स्थिति भी बनेगी। अत: अति नरीवाद भी गलत ही है। वैसे कहा भी है कि अति सर्वत्र वर्जयते। 

आप लोगों को जानकर आश्चर्य होगा कि डॉ.अम्बेडकर जी ने भी अति नारीवाद पर कटाक्ष किया था। हुआ यूं था कि कांग्रेस अंधाधुंध महिलाओं की संख्या बढाने लगी थी। लोकसभा में लगभग 292 महिलाओं को लेने का निर्णय किया गया था। इस पर बाबा साहेब ने दिनांक 15-10-1956 को नागपुर भाषण के दौरान कांग्रेस द्वारा महिलाओं की संख्या बढाने पर जो कटाक्ष किया गया था। उसे आप निम्न स्क्रीन शॉर्ट में पढें - 

         - बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर सम्पूर्ण वाङ्मय खंड 40, पृष्ठ 467 - 468 

यहां आप देख सकते हैं कि बाबा साहेब ने राजनीति में महिलाओं की संख्या बढाने पर किस प्रकार कटाक्ष किया था। अतः अति नारीवाद या नारीवाद के चलते पुरुषों की उपेक्षा करने को बाबा साहेब गलत मानते थे। 

उपरोक्त स्क्रीन शॉट डॉ. अम्बेडकर प्रतिष्ठान (सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार) द्वारा जून 2019 को प्रकाशित किया गया था। 

संदर्भित ग्रंथ एवं पुस्तकें - 

1) बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर सम्पूर्ण वाङ्मय खंड 40 

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