डॉ. अम्बेडकर वैदिक काल में नारियों की उच्च स्थिति मानते थे!!!

 कुछ नवबौद्ध ये दुष्प्रचार करते हैं कि वैदिक काल में महिलाओं पर बहुत अत्याचार होते थे। वेदों में महिलाओं की निम्नतर स्थिति का वर्णन है। उन्हें पढने का अधिकार नहीं था। ऐसे न जाने कितने आरोप नवबौद्ध लगाते हैं। किंतु खुद बाबा साहेब अम्बेडकर, इन सब आरोपों का खंडन कर देते हैं। 

बाबा साहेब का मानना था कि वैदिक काल में महिलाओं को वेद पढने का अधिकार था। उनका उपनयन संस्कार होता था। महिलायें मंत्र पाठ कर सकती थी। महिलायें शास्त्रार्थ करती थी। वैदिक काल ही नहीं अपितु पाणिनि के काल में भी महिलाओं की उच्चतम सामाजिक स्थिति को अम्बेडकर जी मानते थे। अम्बेडकर जी मानते थे कि पाणिनि अष्टाध्यायी के अनुसार महिलायें गुरुकुल में जाती थी और वेदों की विभिन्न शाखाओं का अध्ययन करती थी। महिलायें छात्राओं को पढाती भी थी। 

विस्तार से नीचे दिये चित्र पर क्लिक करके पढें - 

       - बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर सम्पूर्ण वाङ्मय खंड 36,पृष्ठ - 502 - 503 

बाबा साहेब वैदिक काल, पाणिनि काल में महिलाओं को शिक्षा, उपनयन, शास्त्रार्थ करने का अधिकार मानते थे। उन्होने साफ - साफ स्वीकार किया है कि इन सब समयों में महिलाओं की स्थिति बहुत ही उन्नत थी।

डॉ. अम्बेडकर महिलाओं की स्थिति में गिरावट मनुस्मृति से मानते हैं किंतु यहां ये भी ध्यान देना चाहिए कि वे मनुस्मृति को स्वम्भुव या वैवस्वत मनु की रचना न मानकर सुमित भार्गव की रचना मानते थे। और इस मनुस्मृति को महाभाष्य व शंकराचार्य के भी पश्चात् का मानते थे। अत: वैदिक धर्म में महिलाओं को सम्मानित स्थान प्राप्त था। महिलाओं को पुरुषों के समान पढने और पढाने का अधिकार था। डॉ. अम्बेडकर ने इस वक्तव्य द्वारा तथाकथित नव बौद्धों के दावों का खंडन कर दिया है। 

संदर्भित ग्रंथ एवं पुस्तकें - 

1) बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर सम्पूर्ण वाङ्मय खंड 36 

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